Sunday, December 11, 2011

एक बार तो पूछो


इन जागती रातों का सबब तो पूछो
उन अधूरी बातों का मतलब तो पूछो

किस तरह हमने गुज़ारे  है मर मर के वो दिन बार बार ना सही एक बार तो पूछो

तेरी यादों का फ़साना  ना सही तेरी बातों का अफसाना  न सही पर तेरी उस मुस्कराहट की टीस अब भी बाकी है
अब भी बाकी है तेरे दामन में लिपट कर रोने की ख्वाहिश अब भी बाकी है मेरे प्यार की नुमाइश ....
अधूरे पन का ये सितम ...अकेलेपन की ये चुभन  ,दर्द में आसुंओ का सैलाब और उस पर  मेरे प्यार का कफ़न ..........एक बार बस एक बार तुम दिल का हाल तो पूछो ..............
.कुछ भी ना सही पर एक सवाल तो पूछो




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